पृथ्‍वी तत्व

पृथ्वी तत्व के देवता गणेश जी है, जींदगी में स्थायित्व व् विघ्न नाश के लिए गणेशजी की उपासना करे.

इसे जड़ जगत का हिस्सा कहते हैं। हमारी देह जो दिखाई देती है वह भी जड़ जगत का हिस्सा है और पृथ्‍वी भी। इसी से हमारा भौतिक शरीर बना है, लेकिन उसमें तब तक जान नहीं आ सकती जब तक की अन्य तत्व उसका हिस्सा न बने। जिन तत्वों, धातुओं और अधातुओं से पृथ्वी बनी है उन्हीं से यह हमारा शरीर भी बना है।

प्रथ्वी तत्व का नाता व्यक्ति के शरीर की त्वचा और कोशिकाओं यानी कि सेल्स से है।

शरीर का ऊपरी हिस्सा यानी मनुष्य का जो रूप हमें दीखता है वो पृथ्वी तत्व से बना होता है।

शरीर के हाड़, मास, मांसपेशियां, कोशिकाएं, त्वचा आदि पृथ्वी तत्व से ही निर्मित होते हैं।

शरीर की सुंदरता के प्रति अहंकार भी यही तत्व पैदा करता है।

धरती माता आपको वह सब कुछ देती है जो आपके पास है और जो आप अपने जीवन में पाना चाहते हैं। इस तत्व में स्थिरता, संतुलन, तप, दृढ़ता, कठोरता, अनंत धैर्य और तीक्ष्णता निहित है। बीजों का अंकुरण पृथ्वी तत्व द्वारा नियंत्रित होता है। यह आपको देने की क्षमता प्रदान करता है, और यह शरीर, विचारों, संबंधों और जीवन से अपशिष्टों को हटाने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। पृथ्वी तत्व अंतरिक्ष के केंद्र और विकर्ण दिशाओं पर हावी होता है। पृथ्वी तत्व की दिशा दक्षिण-पश्चिम है और इस दिशा का कोण नैऋत्य कोण है। राहु को पृथ्वी तत्व के देवता के रुम में माना जाता है। यह नैऋत्य कोण का स्थायित्त प्रदान करते हैं। वृष, कन्या व मकर राशि को पृथ्वी तत्व की राशियों के रुप में वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र में स्वीकारा गया है। बरकत नही होती है। नाभि के नीचे वाले अंगों पर प्रभाव पड़ता है। मुखिया या बड़े बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है।

जब भवन में पृथ्वी तत्व संतुलित अवस्था में होता है। तो यह तत्व आपके जीवन में स्थिरता लाता है - चाहे वह आपका करियर हो, व्यवहार हो, रिश्ते हों या सामान्य प्रयासों के परिणाम हों। यह विशेष रूप से आपके परिवार के साथ। शांति और सद्भाव को प्रेरित करता है जिसे आप पूरी दुनिया के साथ बनाए रखते हैं।जब पृथ्वी तत्व असंतुलित स्थिति में होता है, तो यह आलस्य, तीव्र सुस्ती और एक भावना का कारण बनती है। और यहां पर आपकी सारी ऊर्जा समाप्त हो जाती है। जो लोग जो लोग नौकरी पेशा के क्षेत्र में अपना काम करते हैं। और शादी करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं उन्हें उपयुक्त वर-वधू प्राप्त करने में कठिनाई होती है। परिवार में विवाद और कलह आम हो जाती है और फिजूलखर्ची बढ़ जाती है। संक्षेप में, पृथ्वी तत्व के असंतुलन से संबंधों, करियर और जीवन में अस्थिरता आती